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ब्राह्मण, बकरा और तीन ठग : पंचतंत्र की कहानी
शेर, गीदड़ और मूर्ख गधा : पंचतंत्र की कहानी
सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी
मुनष्य के लिए असम्भव हो। पुरातन कहानियों के चरित्र ऐसे होते हैं जो असम्भव कार्य
प्रमुख कहानियाँ हैं - चरणों की दासी, रोगी, परित्यक्ता, जारज, अनाश्रित, होली, धन का - अभिशाप, प्रतिव्रता या पिशाची, एकाकी, मैं,
कमलेश्वर की 'मुरदों की दुनिया', 'तीन दिन पहले की
रज्जब क़साई अपना रोज़गार करके ललितपुर लौट रहा था। साथ में स्त्री थी, और गाँठ में दो सौ-तीन सौ की बड़ी रक़म। मार्ग बीहड़ था, और सुनसान। ललितपुर काफ़ी दूर था, बसेरा कहीं न कहीं लेना ही था; इसलिए उसने मड़पुरा-नामक गाँव में ठहर जाने का निश्चय किया। उसकी पत्नी वृंदावनलाल वर्मा
की विसंगतियों का मार्मिक चित्रण मिलता है। साथ ही निम्नवर्गीय शोषितों की व्यथा, अभाव और जीवन
(एक) जब तक गाड़ी नहीं चली थी, बलराज जैसे नशे में था। यह शोर-गुल से भरी दुनिया उसे एक निरर्थक तमाशे के समान जान पड़ती थी। प्रकृति उस दिन उग्र रूप धारण किए हुए थी। लाहौर का स्टेशन। रात के साढ़े नौ बजे। कराची एक्सप्रेस जिस प्लेटफ़ार्म पर खड़ी थी, वहाँ चन्द्रगुप्त विद्यालंकार
अपने युग की सामाजिक बुरी दशा को अपने उपन्यास तथा कहानियों का विषय बनाया। अपने
'क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?' बिरजू की माँ शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आँगन में। सात साल का लड़का बिरजू शकरकंद के बदले तमाचे खा कर आँगन में लोट-पोट कर सारी देह में मिट्टी मल रहा था। चंपिया के सिर भी चुड़ैल मँडरा फणीश्वरनाथ रेणु
आदि अनेक कहानीकारों की रचनाएं बहुत प्रसिद्ध हुई ।
अभावग्रस्त जीवन- संकटों का मार्मिक अंकन वाली इनकी कहानियाँ कथा - शिल्प की
बंदर और लकड़ी का खूंटा : पंचतंत्र की कहानी